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26 Aug 2022 · 1 min read

सावन की शुचि तरुणाई का,सुंदर दृश्य दिखा है।

सावन की शुचि तरुणाई का , सुंदर दृश्य दिखा है।
घर-आंगन की अँगड़ाई पर, सुंदर गीत लिखा है।
यौवन दहका,बारिश चहकी,बूंद बूंद है महकी।
तन्हाई में अब तरुणी ज्यों , पावन दीपशिखा है।
डा. प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम।

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
1 Like · 127 Views

Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

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