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27 Jan 2024 · 1 min read

सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ा कर चले गए…

सारे जग को मानवता का,
पाठ पढ़ाकर चले गये,
देश प्रेम सच्चे अर्थों में,
सबको सिखाकर चले गये…

कैसे जीता जाता है दिल,
बिना किसी आडम्बर के,
विजय चूमती कदम सदां ही,
बिना पीर पैगम्बर के,

बार-बार असफल रहकर भी,
कैसे सफल हुआ जाता है,
सपनों को साकार रूप में,
परिवर्तित कैसे किया जाता है,

कैसे हो सबका विकास,
सिद्धान्त बनाकर कर चले गए,
सारे जग को मानवता का,
पाठ पढ़ाकर चले गए ।

कभी बैठना नहीं है थककर,
जब तक मंजिल तय ना हो,
देश का मान बढ़ाना ही है
जब तक श्वांस बंद ना हो,

चाटुकारिता नहीं है करनी,
कर्महीन भी ना बनना,
सच्चाई की राह पे चलके,
बेईमानी को विदा करना,

विश्वरूप भारत को विश्व में
विश्वस्त बना कर चले गए
सारे जग को मानवता का,
पाठ पढ़ाकर चले गए ।

पढ़ लिख कर विज्ञानी बनना,
पर नैतिकता नहीं छोड़ना,
मात-पिता-गुरु कृपा प्राप्त कर,
लक्ष्य प्राप्ति हेतु निकलना,

दंभ, द्वेष पाखण्ड छोड़कर,
बुद्ध रूप सा सात्विक बनना,
पर जो तोड़े नियम शान्ति का,
ताल ठोक छाती पर चढ़ना,

कैसे हों विफल, षणयंत्र शत्रु के,
राज बताकर चले गए
सारे जग को मानवता का,
पाठ पढ़ाकर चले गए ।

सीखो, धर्म धुरंधर सीखो,
मानव धर्म निभाते कैसे,
सीखो ऊंच-नीच वालो भी,
प्रेम परस्पर पलता कैसे,

बन्द करो सब ढोंग ढपारे,
अंधभक्ति भी बंद करो,
सीखो कुछ “कलाम साहब” से,
और समता की बात करो,

वो अनेकता में भी एकता-
करना, सिखाकर चले गए
सारे जग को मानवता का
पाठ पढ़ाकर चले गए ।

*** **** **** ****

Language: Hindi
118 Views
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