सारे गुनाहगार खुले घूम रहे हैं
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कांटे चमन में हैं हमें इंकार नहीं है |
फूलों के हाथों में भी तो तलवार नहीं है ||
है प्यास अभी वक्त पर बरसेगी घटाएं |
मौसम को आदमी से सरोकार नहीं है||
सारे गुनाहगार खुले घूम रहे हैं|
जो शख्स कैद में हैं गुनाहगार नहीं है||