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29 Jul 2019 · 1 min read

साख तो अपनी तुम बचालो

किसी कार्य को असंभव कहके,खुदी को गुलाम क्यों करते हो।
शत्रु से डटके मुक़ाबला करो,हारकर सलाम क्यों करते हो।।
मौत अरे आनी है एकदिन,साख तो अपनी तुम बचालो।
गीदड़-से डरके भागते हो,खुली यूँ लगाम क्यों करते हो।।

आलोचकों पर गुस्सा मत कर,कमियाँअपनी तुम दूर करो।
होंगी तारीफ़ें जमके यहाँ,खुद को पहले मशहूर करो।।
चट्टानों को हटाए झरना,काँटों में खिलता वो गुलाब।
तूफ़ानों से डरके न बैठों,कायरता दूर ज़रूर करो।।

–आर.एस.प्रीतम
दिनांक:28जुलाई,2019

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 277 Views

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