सरस्वती बंदना
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तेरा नाम है अमर सदा, हे माँ सरस्वती।
हे हंसवाहिनी माँ, आसन है कमल तेरी।।
स्वर दे – वर दे हे माँ, तेरे हाथ में है वीणा
पुस्तक गीता रहतीं, हर चंद साथ में माँ
दुनियाँ में महिमा की है गीत अमर तेरी।
हे हंसवाहिनी माँ, आसन है कमल तेरी।।
हर मानव को देती, जिसे जो भी लगा प्यारा
मुझे शरण में रख लो माँ, मैं जग से हुं हारा
गुणवान बना देती, आये जो शरण तेरी।
हे हंसवाहिनी माँ, आसन है कमल तेरी।।
अज्ञान तेरा बेटा, दर्शन के लिए आया
देवी विद्या की तू, दे ज्ञान की माँ छाया
अज्ञान बड़ा हुं माँ, दे ज्ञान बढ़ा मेरी।
हे हंसवाहिनी माँ, आसन है कमल तेरी।।
✍️ बसंत भगवान राय
(धुन: होटों से छू लो तुम)