समझ
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***समझ***
देख कर बेटी की खिलकारी
कुटुम्ब को हुई चिन्ता भारी
सुन बेटे की खिलकारी
घर में आयीं खुशियां भारी
प्रेम स्नेह सब बेटे को अर्पण
बेटी से उल्टा लिया समर्पण
यह सब देख आंख भर आई
बेटा अपना बेटी क्यों पराई
ये कुदरत तू ही बतलादे
ऐसी रीति कहाँ से आई
एक पित्र की दो सन्ताने
बेटा अपना बेटी क्यो हुई पराई।।