*जिंदगी-नौका बिना पतवार है ( हिंदी गजल/गीतिका )*
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
तारीफों में इतने मगरूर हो गए थे
अपूर्ण नींद और किसी भी मादक वस्तु का नशा दोनों ही शरीर को अन
जिस दिन कविता से लोगों के,
आंखो ने क्या नहीं देखा ...🙏
शिमला, मनाली, न नैनीताल देता है
■ चाल, चेहरा और चरित्र। लगभग एक सा।।
मेरे हमदर्द मेरे हमराह, बने हो जब से तुम मेरे