Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Sep 2022 · 2 min read

समझदारी – कहानी

एक जंगल में गधों का एक झुंड रहता था l इन सबके बीच एक गधा था चुन्नू | चुन्नू एक साधारण गधा था | वह ज्यादा दिमाग नहीं लगाता था | किसी भी काम को करने में | इसी वजह से वह बहुत से काम ठीक से नहीं कर पाता था | इस पर बाकी गधे उसका मजाक उड़ाया करते थे | समय बीतता गया | चुन्नू का गधापन उस पर हावी होता गया | और एक दिन वह भी आया जब चुन्नू को खुद से भी चिढ़ होने लगी |
चुन्नू के माता – पिता इस बात को लेकर चिंचित थे कि चुन्नू समझधार कब होगा | और जंगल के जीव उसका मजाक उड़ाना कब बंद करेंगे | वे दोनों चुन्नू के लिए भगवान् से प्रार्थना करते थे | एक दिन उन दोनों के समक्ष एक महात्मा प्रकट हुए | और पूछा – तुम दोनों इतने चिंचित क्यों हो ? इसका कारण मुझे बताओ | तो चुन्नू के माता – पिता ने सारी बातें महात्मा जी को बता दी | तब महात्मा जी ने उनसे कहा कि एक काम करो | यहाँ से दूर पूर्व दिशा में एक आश्रम है | उस आश्रम में चुन्नू को भेज दो और उसे वहां शिक्षा ग्रहण करने दो | इसमें करीब तीन माह का समय लगेगा | पर यह बात तुम जंगल में किसी को नहीं बताना वरना लोग तुम पर हँसेंगे |
चुन्नू के माता – पिता चुन्नू को लेकर दूर आश्रम में भरे मन से चुन्नू को छोड़ आते हैं | आश्रम में चुन्नू को काम को करने के तरीके के साथ – साथ सही निर्णय किस तरह लिया जाता है इस सब बातों का प्रशिक्षण दिया जाता है | चुन्नू आश्रम के सभी नियमों का पूर्णतः पालन करता है और धीरे = धीरे सभी कार्यों में पारंगत हो जाता है | कार्यों के प्रति उसकी लगन देख आश्रम के संत महाराज बहुत खुश होते हैं | और करीब तीन माह बाद चुन्नू को वापस उसके घर भेज देते हैं | चुन्नू का चिड़चिड़ापन ख़त्म हो जाता है |
चुन्नू के जाने के बाद जंगल के जीव चुन्नू के माता – पिता से चुन्नू को जंगल में न होने की वजह बार – बार पूछते हैं | पर चुन्नू के माता – पिता चुप्पी साध लेते हैं और महात्मा जी की बात को ध्यान में रखते हुए किसी को सच नहीं बताते | इधर तीन माह बाद चुन्नू वापस जंगल आ जाता है | सभी उससे तीन महीने घर से दूर रहने की बात पूछते हैं | पर वह कुछ नहीं बताता | चुन्नू सारे काम ठीक से करने लगता है और साथ ही जंगल के दूसरे जीवों को भी काम ठीक तरह से किस प्रकार किया जाए यह समझाने लगता है | धीरे – धीरे चुन्नू की ख्याति बढ़ने लगती है | आसपास के जंगल से भी जानवर अब चुन्नू से राय लेने आने लगते है | चुन्नू में असाधारण परिवर्तन देख जंगल के सभी जीव चुन्नू को “जंगल का सलाहकार” पद से सम्मानित करते हैं | चुन्नू के माता – पिता चुन्नू को सम्मानित देख खुश होते हैं |

Language: Hindi
5 Likes · 255 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
यादों से निकला एक पल
यादों से निकला एक पल
Meera Thakur
तुम सम्भलकर चलो
तुम सम्भलकर चलो
gurudeenverma198
समय के खेल में
समय के खेल में
Dr. Mulla Adam Ali
धार्मिक असहिष्णुता की बातें वह व्हाट्सप्प पर फैलाने लगा, जात
धार्मिक असहिष्णुता की बातें वह व्हाट्सप्प पर फैलाने लगा, जात
DrLakshman Jha Parimal
अगर युवराज का ब्याह हो चुका होता, तो अमेठी में प्रत्याशी का
अगर युवराज का ब्याह हो चुका होता, तो अमेठी में प्रत्याशी का
*प्रणय प्रभात*
पूरी उम्र बस एक कीमत है !
पूरी उम्र बस एक कीमत है !
पूर्वार्थ
तुम्हारी जाति ही है दोस्त / VIHAG VAIBHAV
तुम्हारी जाति ही है दोस्त / VIHAG VAIBHAV
Dr MusafiR BaithA
सुहाता बहुत
सुहाता बहुत
surenderpal vaidya
जिंदगी सीरीज एक जब तक है जां
जिंदगी सीरीज एक जब तक है जां
DR ARUN KUMAR SHASTRI
छलिया तो देता सदा,
छलिया तो देता सदा,
sushil sarna
सच्ची मोहब्बत भी यूं मुस्कुरा उठी,
सच्ची मोहब्बत भी यूं मुस्कुरा उठी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
उगते विचार.........
उगते विचार.........
विमला महरिया मौज
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
2993.*पूर्णिका*
2993.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है?
तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है?
Pt. Brajesh Kumar Nayak
मन को मना लेना ही सही है
मन को मना लेना ही सही है
शेखर सिंह
" रिवायत "
Dr. Kishan tandon kranti
तनावमुक्त
तनावमुक्त
Kanchan Khanna
वज़्न -- 2122 1122 1122 22(112) अर्कान -- फ़ाइलातुन - फ़इलातुन - फ़इलातुन - फ़ैलुन (फ़इलुन) क़ाफ़िया -- [‘आना ' की बंदिश] रदीफ़ -- भी बुरा लगता है
वज़्न -- 2122 1122 1122 22(112) अर्कान -- फ़ाइलातुन - फ़इलातुन - फ़इलातुन - फ़ैलुन (फ़इलुन) क़ाफ़िया -- [‘आना ' की बंदिश] रदीफ़ -- भी बुरा लगता है
Neelam Sharma
प्यार समंदर
प्यार समंदर
Ramswaroop Dinkar
घर के मसले | Ghar Ke Masle | मुक्तक
घर के मसले | Ghar Ke Masle | मुक्तक
Damodar Virmal | दामोदर विरमाल
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
गुमनाम 'बाबा'
राशिफल
राशिफल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हाय री गरीबी कैसी मेरा घर  टूटा है
हाय री गरीबी कैसी मेरा घर टूटा है
कृष्णकांत गुर्जर
तुम जिंदा हो इसका प्रमाड़ दर्द है l
तुम जिंदा हो इसका प्रमाड़ दर्द है l
Ranjeet kumar patre
जीना है तो ज़माने के रंग में रंगना पड़ेगा,
जीना है तो ज़माने के रंग में रंगना पड़ेगा,
_सुलेखा.
क्या बुरा है जिन्दगी में,चल तो रही हैं ।
क्या बुरा है जिन्दगी में,चल तो रही हैं ।
Ashwini sharma
सच्ची प्रीत
सच्ची प्रीत
Dr. Upasana Pandey
आकाश से आगे
आकाश से आगे
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
कितना और सहे नारी ?
कितना और सहे नारी ?
Mukta Rashmi
Loading...