सब गुण संपन्य छी मुदा बहिर बनि अपने तालें नचैत छी !
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सब गुण संपन्य छी मुदा बहिर बनि अपने तालें नचैत छी !
नहिं ककरों सँ संवाद केलहूँ लोक बुझत गुमान करैत छी !!
@ परिमल
सब गुण संपन्य छी मुदा बहिर बनि अपने तालें नचैत छी !
नहिं ककरों सँ संवाद केलहूँ लोक बुझत गुमान करैत छी !!
@ परिमल