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28 Jul 2016 · 1 min read

सब्र कहाँ मुझसे होता है

कभी चैन से कब सोता है
शूल किसी को जो बोता है

लिखी भाग्य मजदूरी जिसके
आज जिंदगी बस ढोता है

जैसा बोलो वैसा बोले
नहीं आदमी वह तोता है

जले किसी को सुखी देखकर
जीवन भर ही वह रोता है

काला धन जो घर में लाता
नींद चैन सब कुछ खोता है

दिल जो कहता लिख देता हूँ
सब्र कहाँ मुझसे होता है

2 Comments · 317 Views

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