सदा सुहागन रहो
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सदा सुहागन रहो दुआ करते हैं
ये व्रत सफल रहे दुआ करते हैं
सदा सुहागन रहो…………….
तुम प्रीत हो तुम ही प्यार सुनो
तुम पर कितना एतबार सुनो
सदा सुहागन रहो…………….
तुम जीवन भर कष्ट उठाती हो
फिर भी सारे फर्ज निभाती हो
सदा सुहागन रहो…………….
ये व्रत जो सभी नारी रखती हैं
पति हित में ही पूजा करती हैं
सदा सुहागन रहो…………….
तुम्हारे दिलों में अरमान खिले
‘विनोद’ सबको सम्मान मिले
सदा सुहागन रहो……………
स्वरचित
( विनोद चौहान )