*सीधा-सादा सदा एक – सा जीवन कब चलता है (गीत)*
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सीधा-सादा सदा एक-सा जीवन कब चलता है (गीत)
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सीधा-सादा सदा एक-सा जीवन कब चलता है
(1)
जीवन खेल साँप-सीढ़ी का कभी शिखर पर चढ़ता
बाधाओं को दरकिनार कर द्रुतगति से यह बढ़ता
तभी अचानक डँसा साँप ने , मनुज हाथ मलता है
(2)
स्वप्न देखता मानव जग में सौ वर्षों जीने के
जीवन के उपभोग – रसायन रखे सभी पीने के
तभी काल चुपके से आकर ,साँसों को छलता है
(3)
किसे पता है कल क्या होना ,ऋतु कैसी आएगी
पतझड़ होगा या बसंत की मादकता छाएगी
लिखा भाग्य में बुरा – भला सब ,टाले कब टलता है
(4)
जैसा जीवन मिला – मिलेगा ,सब हँसकर स्वीकारो
“दीनबंधु हे नाथ तुम्हारी जय ” सौ बार पुकारो
अतिशय हर्ष न शोक हृदय में ,साधक के पलता है
सीधा – सादा सदा एक – सा जीवन कब चलता है
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451