श्रृंगार
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/9f4d52ca689320dac86b718f2b75a710_2db552332fffe90995474d93598075fe_600.jpg)
माथे की बिंदिया चमचम,
पैरों में पायल की छनछन,
हाथों में कंगन की खनखन,
रुनझुन छनके कमरबंद,
करते साजन का अभिनंदन।
रिश्ता अपना खुशबू चंदन,
रहे दीप्त क्षितिज-सा यौवन,
नित प्रेम पले,खिलता उपवन,
नयनों में डूबा हो प्रेम प्रवर्तन,
चल काट उर के कलुष बंधन।
नीलम शर्मा ✍️