Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Nov 2016 · 2 min read

श्री हनुमत् कथा भाग-7

श्रीहनुमत् कथा , भाग – 7
———————————
श्री हनुमानजी की बुद्धि , चातुर्य एवं अतुलित बल पर विश्वास करके श्री राम ने अपनी मुद्रिका प्रदान करते हुए उसे सीता जी को दिखाने के लिये कहा जिससे सीता जी का हनुमान जी पर विश्वास हो जाए ।सीताराम नमांकित उस मुद्रिका को लेकर हनुमान जी अंगद , जामवंत आदि बन्दर – भालओं के साथ श्री राम – लक्ष्मण को प्रणाम करके सीता अन्वेषण के लिए चल पडे़ । चलते समय सुग्रीव जी ने कहा कि एक माह में सीता अन्वेषण नहीं कर पाये तो प्राणदन्ड पाओगे । यह सुनकर वानर – भालुओं के अनेक समूह विभिन्न दिशाओं में फैल गये । हनुमानजी अंगद , जामवंत आदि के साथ दक्षिण दिशा में गये । सीमा अन्वेषण में लगे हुए वानर – भालू अति उत्साहित होकर दुर्गम पर्वत , वन , तालाब , कन्दराओं को लांघते हुए चले जा रहे थे । आगे चलकर उन्हें थकान एवं जोर से प्यास लगन लगी । यह देखकर हनुमानजी ने पहाड़ पर चढ़कर एक गुफा को देखा । उसके ऊपर हंस , चकवे ,वगुले् आदि जलचर पक्षी उड़ रहे हैं एवं कुछ पक्षी उसमें प्रवेश कर रहे हैं । हनुमानजी ने वानर – भालुओं के साथ उस गुफा में प्रवेश करके एक सुन्दर उपवन , तालाब एवं मन्दिर मे एक आसन पर बैठी हुई एक तपस्विनी को देखा जो हेमा नामक अप्सरा की सखी स्वयंप्रभा थी जिसके निर्देश पर सभी वानर – भालुओं ने स्नान , जलपान एवं सुन्दर मीठे फल खाकर थकान मिटाई । हनुमानजी के द्वारा सब बृत्तान्त जानकर उस तपस्वी ने अपने तप बल से उन्हें पलक झपकते ही समुद्र के किनारे पहुँचा दिया ।
:-डाँ तेज स्वरूप भारद्वाज -:

Language: Hindi
434 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

ବାଉଁଶ ଜଙ୍ଗଲରେ
ବାଉଁଶ ଜଙ୍ଗଲରେ
Otteri Selvakumar
गर मनपसंद साथ ना मिले तो तन्हाई रास आ ही जाती है।
गर मनपसंद साथ ना मिले तो तन्हाई रास आ ही जाती है।
Shikha Mishra
लायर विग
लायर विग
AJAY AMITABH SUMAN
वाणी
वाणी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
Rj Anand Prajapati
यदि हम कोई भी कार्य खुशी पूर्वक करते हैं फिर हमें परिणाम का
यदि हम कोई भी कार्य खुशी पूर्वक करते हैं फिर हमें परिणाम का
Ravikesh Jha
2. Love-Lorn
2. Love-Lorn
Ahtesham Ahmad
रोम रोम है पुलकित मन
रोम रोम है पुलकित मन
sudhir kumar
बात सीधी थी
बात सीधी थी
Dheerja Sharma
"प्यार की कहानी "
Pushpraj Anant
सृजन तेरी कवितायें
सृजन तेरी कवितायें
Satish Srijan
- दिल की धड़कन में बसी हो तुम -
- दिल की धड़कन में बसी हो तुम -
bharat gehlot
सूर्य देव
सूर्य देव
Bodhisatva kastooriya
निशाचार
निशाचार
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
यक़ीनन मुझे मरके जन्नत मिलेगी
यक़ीनन मुझे मरके जन्नत मिलेगी
Johnny Ahmed 'क़ैस'
यूँ   ही   बेमौसम   बरसात  हुई।
यूँ ही बेमौसम बरसात हुई।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
समाज का आइना
समाज का आइना
पूर्वार्थ
सदा दे रहे
सदा दे रहे
अंसार एटवी
********* हो गया चाँद बासी ********
********* हो गया चाँद बासी ********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बेचैनी सी रहती है सुकून की तलाश में
बेचैनी सी रहती है सुकून की तलाश में
मानसिंह सुथार
फिक्र किसी की कौन अब,
फिक्र किसी की कौन अब,
sushil sarna
#दिवस_विशेष-
#दिवस_विशेष-
*प्रणय*
मत करना तू मुझ पर भरोसा
मत करना तू मुझ पर भरोसा
gurudeenverma198
धर्म युद्ध जब चलना हो तो
धर्म युद्ध जब चलना हो तो
ललकार भारद्वाज
3800.💐 *पूर्णिका* 💐
3800.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
भावनाओं की किसे पड़ी है
भावनाओं की किसे पड़ी है
Vaishaligoel
221 2121 1221 212
221 2121 1221 212
SZUBAIR KHAN KHAN
बदल गई काया सुनो, रहा रूप ना रंग।
बदल गई काया सुनो, रहा रूप ना रंग।
Suryakant Dwivedi
गीत
गीत
जगदीश शर्मा सहज
रिश्ते..
रिश्ते..
हिमांशु Kulshrestha
Loading...