शुभ रात्रि मित्रों
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/40c7dc38c04523d79e18fb3fa33dd482_71bd02338f7e1132046d103d90dd191b_600.jpg)
शुभ रात्रि मित्रों
सवेरा हर नया आए लिए पहचान नव कोई
नहीं सोना लिए चिंता सजा सपनों का भव कोई/1
नहीं कल का पता जिसको नहीं पल का पता जिसको
यहाँ इंसान जीता क्यों लिए दिल में है रव कोई/2
शब्दार्थ- नव-नया, भव-संसार, रव-शोर-शराबा
शायर- आर.एस.’प्रीतम’