*शिवोहम्* “” ( *ॐ नमः शिवायः* )
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“” शिवोहम् “”
( ॐ नमः शिवायः )
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( 1 )” शि “, शिवोहम् शिवोहम् हूँ मैं शिवोहम्
मुझमें बसता शिव स्वरूपम् !
अभिभूत हूँ मैं चेतनता से…..,
शिवमय बना है सारा जीवन !!
( 2 )” वो “, वो सदाशिव, है मृत्युंजय
बसता हमारी रग-रग में है !
है विश्वेश्वर, वही गिरिश्वर….,
जीवन की हर श्वासों में वो है !!
( 3 )” ह “, हर हर महादेव,भगनेत्रभिद् हैं
हैं वही दक्षाध्वरहर हर !
पाशविमोचन परमेश्वर हैं….,
बसते जड़ चेतन, हर नर-नर !!
( 4 )” म “, महाकाल ललाटाक्ष गंगाधर हैं
हैं शिव भोले कृपानिधि !
विष्णुप्रिय भक्तवत्सल शिव हैं….,
त्रिलोक स्वामी कैलाशवासी !!
( 5 )” शिवोहम् “, शिवोहम् चिदानंद रूपम्
मनो बुद्धि अहंकार चित्तानि नाहम् !
न मे द्वेषरागौ न मे लोभ मोहौ….,
मदों नैव मे नैव मात्सर्यभावम् !!
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सुनीलानंद
शनिवार,
18 मई, 2024
जयपुर,
राजस्थान |