विषय : बाढ़
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
न जमीन रखता हूँ न आसमान रखता हूँ
वैज्ञानिक युग और धर्म का बोलबाला/ आनंद प्रवीण
गुजर जाती है उम्र, उम्र रिश्ते बनाने में
प्रेमियों के भरोसे ज़िन्दगी नही चला करती मित्र...
जिस आँगन में बिटिया चहके।
बधाई का असली पात्र हर उस क्षेत्र का मतदाता है, जिसने दलों और
धन, दौलत, यशगान में, समझा जिसे अमीर।
*सूने पेड़ हुए पतझड़ से, उपवन खाली-खाली (गीत)*
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
बर्फ़ीली घाटियों में सिसकती हवाओं से पूछो ।
तुझको को खो कर मैंने खुद को पा लिया है।
मिलेगा हमको क्या तुमसे, प्यार अगर हम करें