Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Oct 2022 · 1 min read

एक और इंकलाब

वो कुर्बानी भगतसिंह की
ज़वाब मांगती है
सदियों से ज़ारी ज़ुल्म का
हिसाब मांगती है…
(१)
इस देश और समाज के
जलते हुए सवालों पर
हम लोगों से एक और
इंकलाब मांगती है…
(२)
तालीम से लेकर सेहत तक
जीवन के हर क्षेत्र में
बिल्कुल ही नए दौर का
आगाज़ मांगती है…
(३)
जम्हूरी निज़ाम के लिए
अपनी ही ज़मीन में
एक गहरी और मजबूत
बुनियाद मांगती है….
(४)
अभी तक जेहनी तौर पर
बीमार हैं जो लोग
अच्छी तरह से अब उनका
इलाज़ मांगती है….
(५)
मज़हब और सियासत की
झूठी रोक-टोक से
अदालत को बेख़ौफ़ और
आज़ाद मांगती है…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#जनवादीकविता #अवामीशायरी
#इंकलाबीशायरी #नारीविमर्श #विद्रोही
#सियासीशायरी #विद्रोही #हक़ #क्रांति
#Protest #दलित #BhagatSingh

Language: Hindi
68 Views
Join our official announcements group on Whatsapp & get all the major updates from Sahityapedia directly on Whatsapp.
You may also like:
"अतितॄष्णा न कर्तव्या तॄष्णां नैव परित्यजेत्।
Mukul Koushik
सह जाऊँ हर एक परिस्थिति मैं,
सह जाऊँ हर एक परिस्थिति मैं,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
खुद ही खुद से इश्क कर, खुद ही खुद को जान।
खुद ही खुद से इश्क कर, खुद ही खुद को जान।
विमला महरिया मौज
" भूलने में उसे तो ज़माने लगे "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
कभी जो रास्ते तलाशते थे घर की तरफ आने को, अब वही राहें घर से
कभी जो रास्ते तलाशते थे घर की तरफ आने को, अब वही राहें घर से
Manisha Manjari
अवसाद का इलाज़
अवसाद का इलाज़
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कुछ तो तुझ से मेरा राब्ता रहा होगा।
कुछ तो तुझ से मेरा राब्ता रहा होगा।
Ahtesham Ahmad
मन उसको ही पूजता, उसको ही नित ध्याय।
मन उसको ही पूजता, उसको ही नित ध्याय।
डॉ.सीमा अग्रवाल
सृजन
सृजन
Prakash Chandra
निर्बल होती रिश्तो की डोर
निर्बल होती रिश्तो की डोर
Sandeep Pande
तुम जख्म देती हो; हम मरहम लगाते हैं
तुम जख्म देती हो; हम मरहम लगाते हैं
श्री रमण 'श्रीपद्'
आहट
आहट
Er Sanjay Shrivastava
परिस्थितियां अनुकूल हो या प्रतिकूल  ! दोनों ही स्थितियों में
परिस्थितियां अनुकूल हो या प्रतिकूल ! दोनों ही स्थितियों में
तरुण सिंह पवार
💐प्रेम कौतुक-492💐
💐प्रेम कौतुक-492💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
वक़्त सितम इस तरह, ढा रहा है आजकल,
वक़्त सितम इस तरह, ढा रहा है आजकल,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
सामाजिक न्याय
सामाजिक न्याय
Shekhar Chandra Mitra
आँखें ( कुंडलिया )
आँखें ( कुंडलिया )
Ravi Prakash
Kagaj ke chand tukado ko , maine apna alfaj bana liya .
Kagaj ke chand tukado ko , maine apna alfaj bana liya .
Sakshi Tripathi
बरसो रे मेघ (कजरी गीत)
बरसो रे मेघ (कजरी गीत)
Vishnu Prasad 'panchotiya'
मुझे तरक्की की तरफ मुड़ने दो,
मुझे तरक्की की तरफ मुड़ने दो,
Satish Srijan
ये आरजू फिर से दिल में जागी है
ये आरजू फिर से दिल में जागी है
shabina. Naaz
आहिस्ता चल
आहिस्ता चल
Dr.Priya Soni Khare
इक क्षण
इक क्षण
Kavita Chouhan
"आज ख़ुद अपने लिखे
*Author प्रणय प्रभात*
पत्रकारों को पत्रकार के ही भाषा में जवाब दिया जा सकता है । प
पत्रकारों को पत्रकार के ही भाषा में जवाब दिया जा सकता है । प
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
मजदूर की अन्तर्व्यथा
मजदूर की अन्तर्व्यथा
Shyam Sundar Subramanian
कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं,
कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं,
Vishal babu (vishu)
हम इतने सभ्य है कि मत पूछो
हम इतने सभ्य है कि मत पूछो
ruby kumari
"नवसंवत्सर सबको शुभ हो..!"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
तथागत प्रीत तुम्हारी है
तथागत प्रीत तुम्हारी है
Buddha Prakash
Loading...