विरक्ति
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कितनी भयावह है ये घटना किसी के हृदय से प्रेम की विरक्ति हो जाना, जो प्रेम जीवन का श्रोत है उससे ही खाली हो जाने के बाद क्या ही बचता है एक इंसान में।एक खोखला सा शरीर मात्र है जो अब बस प्रकृति के नियमानुसार जीर्ण हो जायेगा कभी नही पनप पाएंगे इनमें वो पुष्प जो इस शरीर को मनुष्य बनाते हैं। मुझे डर है अपने आपको पाने की इस जद्दोजहद में मैं अपनी मनुष्यता को ही न खो बैठू। आखिर में रह जाऊं एक बंजर वीरान जगह की तरह जो बन सकता था एक खूबसूरत फूलों का बगीचा कभी लेकिन सिर्फ इसलिए कि कोई चुरा न लें उसके फूलों को उसने नकार दी बगीचा होने की हर संभावना ।