वट सावित्री अमावस्या
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कुण्डलिया छंद
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नारी की शक्ति अगर, रहे धर्म के साथ ।
कर सकती है काल से, खुद ही दो-दो हाथ।।
खुद ही दो-दो हाथ, पलट सकती विधान को।
यम के मुंह से छीन सके वह सत्यवान को ।।
कहे नवल कविराय, सुखी हों सब व्रतधारी ।
छू लें फिर आकाश, सदा भारत की नारी ।।
✍️- नवीन जोशी ‘नवल’
(स्वरचित एवं मौलिक)