Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jan 2017 · 1 min read

वटवृक्ष…….!

आज याद आती है-
पिताजी की वो बातें
थकान और तनावग्रस्त आकर
लंबी सांसे ले बिस्तर पर ऐसे बैठना
जैसे-
किसी परिंदे को मिला हो अपना बिछड़ा परिवार
सुकून भरी शाम की चाय
और
माँ की ममतामयी मुस्कान की मिठास के बीच उनका बोलना-
“बहुत मुश्किल है मगरमच्छों के बीच रहना
न जाने कौन ,कब और कहा निगल जाये-
इस संस्कृति की अजीब व्यवस्था है-
यहाँ ज़िन्दगी भी उत्कोच मांगती है|
धन और सिफारिशों के इस खेल में मैं तो विपन्न सा प्रतीत होता हूँ|
कुछ क्षण अपलक शून्य में निहारते-
धीरे से मुस्कुरा कर प्रश्न करना-
भौतिकता के इस युग में, मेरे व्यक्तित्व की नैतिकता क्या अप्रासंगिक है?
सिफारिशों के इस दुर्धर्ष लपट में –
मेरी कर्मठता का हठयोग, क्या अप्रासंगिक है?
इस व्यवहारिकता के पैमाने में-
मेरी मित्रता की परिभाषा, क्या अप्रासंगिक है?
आदर्शों और सिद्धान्तों से सींचा मेरा जीवन, क्या अक्षम्य है?
फिर,
मेरी ओर देख-
उनका यह कहना —
बेटा, तू भी मेरी इन मूल्यों में सींचा मेरा स्वप्न है,
मेरा वटवृक्ष है|
तू तो छाया देगा न?
और मैं, मन ही मन कहता —-
यह छाया आपकी ही तो है
आपको शीतल करने को सदैव तत्पर|

……………..

Language: Hindi
Tag: कविता
357 Views
You may also like:
ज़िंदगी देख
ज़िंदगी देख
Dr fauzia Naseem shad
शिकवा नहीं है कोई शिकायत भी नही तुमसे।
शिकवा नहीं है कोई शिकायत भी नही तुमसे।
Taj Mohammad
समाज या परिवार हो, मौजूदा परिवेश
समाज या परिवार हो, मौजूदा परिवेश
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कहीं मर न जाए
कहीं मर न जाए
Seema 'Tu hai na'
ये पहाड़ कायम है रहते ।
ये पहाड़ कायम है रहते ।
Buddha Prakash
"मेरे पिता"
vikkychandel90 विक्की चंदेल (साहिब)
मुक्ति
मुक्ति
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बरसात और तुम
बरसात और तुम
Sidhant Sharma
चांद जैसे बादलों में छुपता है तुम भी वैसे ही गुम हो
चांद जैसे बादलों में छुपता है तुम भी वैसे ही...
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
ये कैसी आज़ादी - कविता
ये कैसी आज़ादी - कविता
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
मटका
मटका
Satish Srijan
#एकअबोधबालक
#एकअबोधबालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तांका
तांका
Ajay Chakwate *अजेय*
स्त्री मन
स्त्री मन
Surinder blackpen
मैं ही मैं
मैं ही मैं
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
■ तजुर्बा बोलता है...
■ तजुर्बा बोलता है...
*Author प्रणय प्रभात*
उसकी जुबाँ की तरकश में है झूठ हजार
उसकी जुबाँ की तरकश में है झूठ हजार
'अशांत' शेखर
ठोकरे इतनी खाई है हमने,
ठोकरे इतनी खाई है हमने,
कवि दीपक बवेजा
पितृपक्ष_विशेष
पितृपक्ष_विशेष
संजीव शुक्ल 'सचिन'
*सबसे अच्छा काम प्रदर्शन, धरना-जाम लगाना (हास्य गीत)*
*सबसे अच्छा काम प्रदर्शन, धरना-जाम लगाना (हास्य गीत)*
Ravi Prakash
🏠कुछ दिन की है बात ,सभी जन घर में रह लो।
🏠कुछ दिन की है बात ,सभी जन घर में रह...
Pt. Brajesh Kumar Nayak
अंजामे-इश्क मेरे दोस्त
अंजामे-इश्क मेरे दोस्त
gurudeenverma198
The life is too small to love you,
The life is too small to love you,
Sakshi Tripathi
अधूरी रात
अधूरी रात
डी. के. निवातिया
मानव इतिहास के महानतम् मार्शल आर्टिस्टों में से एक
मानव इतिहास के महानतम् मार्शल आर्टिस्टों में से एक "Bruce...
Pravesh Shinde
नियत समय संचालित होते...
नियत समय संचालित होते...
डॉ.सीमा अग्रवाल
💐अज्ञात के प्रति-44💐
💐अज्ञात के प्रति-44💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जेंडर जेहाद
जेंडर जेहाद
Shekhar Chandra Mitra
"तुम्हारे रहने से"
Dr. Kishan tandon kranti
"बेवकूफ हम या गालियां"
Dr Meenu Poonia
Loading...