वक्त गर साथ देता

वक्त गर साथ देता अंधेरे भी उजाले होते
वक्त गर साथ देता हमने गम न पाले होते
कुछ को मिल जाता है बिन मांगे
कुछ को हक भी न मिले
वक्त गर साथ देता सब दौलत वाले होते
किस्मत बनाई है खुदा ने ये क्या
कोई भला पूछे किसको
वक्त गर साथ देता सब किस्मत वाले होते
‘विनोद’ हैरान है ये लोग पूछते हैं
मैं कौन हूँ कहाँ तक हूँ
वक्त गर साथ देता सबके मुंह पे ताले होते
स्वरचित
( विनोद चौहान )