लोग आते हैं दिल के अंदर मसीहा बनकर
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लोग आते हैं दिल के अंदर मसीहा बनकर
कुछ दिन बाद दिल से निकल क्यों जाते हैं
एक शाख पर पक्षी का दिल क्यों नहीं लगता
दिन बदलते ही घौंसले बदल क्यों जाते हैं..।
✍️कवि दीपक सरल
लोग आते हैं दिल के अंदर मसीहा बनकर
कुछ दिन बाद दिल से निकल क्यों जाते हैं
एक शाख पर पक्षी का दिल क्यों नहीं लगता
दिन बदलते ही घौंसले बदल क्यों जाते हैं..।
✍️कवि दीपक सरल