रात तन्हा सी
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/9786c10829fc6f3c66ddfcd2bb5d0765_9b28152c4d0ed470793ac7f1d3ad6640_600.jpg)
रात तन्हा सी
दिल को
फिर भायी
आपकी याद
बे’पनाह आयी
सोच का इख़्तिलाफ
कैसा था
बात मेरी
समझ नहीं आयी
भूल कर तुझको
मेरे जीने की
कोई सूरत
नज़र नहीं आयी
ज़िन्दगी तल्ख
एक हक़ीक़त है
सोच कर
आंख फिर मेरी
‘शाद’ भर आयी ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद