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19 Feb 2022 · 1 min read

राजनयिक कुछ राजनीति के …

राजनयिक कुछ राजनीति के,
आज डरा रहे हैं जनता को,
जनता बेचारी भयाक्रांत हो,
कोस रही है किस्मत को,

किस्मत भी करे, करे तो क्या,
उसका भी इन पर जोर नहीं,
ये स्वार्थ सिद्धि के सौदागर,
जिनको बिल्कुल भी हया नही,

ये मस्त मस्त बन मद्यप से,
पल पल हुंकारे भरते हैं,
चाहे देश कर्ज में डूब जाय,
पर ये घोटाले करते हैं,

गर देशभक्ति की बात चले,
ये भाषण देते बड़ा बड़ा,
फिर डटकर मौज मनाते हैं,
चाहे सिसके भारत पड़ा पड़ा,

अस्मत भी इनके शासन में,
बच जाए तो है बड़ी बात,
क्योंकि कारवाँ दुष्टों का,
पलता है इनके साथ-साथ,

हे कूटनीति के कठपुतलो,
कुछ तो सोचो, कुछ शर्म करो,
मत चूसो खून गरीबों का,
कुछ देश-धर्म की बात करो,

जब मिट जायेगी यही शक्ति,
जिसके बल पर इतराते हो,
सच को झूठ, झूठ को सच्चा,
उजले को स्याह बनाते हो,

तब हे ‘माया’ के ‘मानस-पुत्रो’,
वोट तुम्हारे देगा कौन,
जब तुम्हरे कुटिल करतबों से,
यह सृष्टि हो जायेगी मौन।

✍ सुनील सुमन

Language: Hindi
Tag: कविता
2 Comments · 381 Views
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