धार्मिक असहिष्णुता की बातें वह व्हाट्सप्प पर फैलाने लगा, जात
अगर युवराज का ब्याह हो चुका होता, तो अमेठी में प्रत्याशी का
पूरी उम्र बस एक कीमत है !
तुम्हारी जाति ही है दोस्त / VIHAG VAIBHAV
जिंदगी सीरीज एक जब तक है जां
सच्ची मोहब्बत भी यूं मुस्कुरा उठी,
तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है?
वज़्न -- 2122 1122 1122 22(112) अर्कान -- फ़ाइलातुन - फ़इलातुन - फ़इलातुन - फ़ैलुन (फ़इलुन) क़ाफ़िया -- [‘आना ' की बंदिश] रदीफ़ -- भी बुरा लगता है
घर के मसले | Ghar Ke Masle | मुक्तक
Damodar Virmal | दामोदर विरमाल
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
हाय री गरीबी कैसी मेरा घर टूटा है
तुम जिंदा हो इसका प्रमाड़ दर्द है l
जीना है तो ज़माने के रंग में रंगना पड़ेगा,
क्या बुरा है जिन्दगी में,चल तो रही हैं ।