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20 Sep 2022 · 1 min read

याद आते हैं

ग़ज़ल

जहाँ मिल साथ में खेले ,वो मिट्टी याद आती है
वो आँगन याद आता है ,वो तुलसी याद आती है

बड़े ही प्यार से कंघी ,किया करती थी माँ मेरी
बसी हाथों की जो खुशबू ,वो कंघी याद आती है

चुरा कर ले गयी दिल को ,सिखाया प्यार भी जिसने
भरी महफिल में मुझको अब ,वो लड़की याद आती है

रहे तैयार हम हर दम ,मदद को एक दूजे की
किया करते चुहल मिलकर ,वो यारी याद आती है

छुपा कर जो खिला देती ,खयालों में रहा करती
समझ अच्छी दिया जिसने ,वो भाभी याद आती है

मचा रहता ठहाका होलिका त्योहार में हर दिन
हमें जो प्यार से देते ,वो गाली याद आती है

कहे क्या-क्या सुधा सबसे ,नहीं छुपता किसी से कुछ
समझ लीजे हमें हर दिन ,वो सबकी याद आती है

डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
17/9/2022
वाराणसी ,©®

Language: Hindi
101 Views

Books from Dr. Sunita Singh

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