यक्षिणी / MUSAFIR BAITHA
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यक्षिणी को यदि जुबान होती
और उसे गढ़ने वाले मर्दों से
हिसाब लेने के अधिकार
तो सोचो
आज के रीति-मानस कवियो!
तेरा क्या हाल होता?
यक्षिणी को यदि जुबान होती
और उसे गढ़ने वाले मर्दों से
हिसाब लेने के अधिकार
तो सोचो
आज के रीति-मानस कवियो!
तेरा क्या हाल होता?