तुमसे मिलना इतना खुशनुमा सा था
सुना है हमने दुनिया एक मेला है
"इस जीवन-रूपी चंदन पर, कितने विषधर लिपट गए।
हारो बेशक कई बार,हार के आगे झुको नहीं।
जैसे तुम कह दो वैसे नज़र आएं हम,
विश्वास
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
*चुनाव से पहले नेता जी बातों में तार गए*
आज का इन्सान हर *पहर* मर रहा है ।।
क्या से क्या हो गया देखते देखते।
सर्द हवाएं
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
Tum khas ho itne yar ye khabar nhi thi,