मैथिली मुक्तक (Maithili Muktak) / मैथिली शायरी (Maithili Shayari)
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बघण्डी के गाछ पर भूतक बसेरा छै
बाघक मुँह मे ठाढ़ रैमल बछेड़ा छै
स्वार्थी भलमानुष सँ करबै कि आश अहाँ
ओकर एक हाथ कत्ता दोसर हाथ पेड़ा छै ।
बघण्डी के गाछ पर भूतक बसेरा छै
बाघक मुँह मे ठाढ़ रैमल बछेड़ा छै
स्वार्थी भलमानुष सँ करबै कि आश अहाँ
ओकर एक हाथ कत्ता दोसर हाथ पेड़ा छै ।