मेहनत
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लगता है तुमने बादल काले नहीं देखे
तीरगी से निकलकर उजाले नहीं देखे
दो- चार कदमों में कैसे मिल जाए मंज़िल
अभी तो मेरे इन पैरों ने छाले नहीं देखे
लगता है तुमने बादल काले नहीं देखे
तीरगी से निकलकर उजाले नहीं देखे
दो- चार कदमों में कैसे मिल जाए मंज़िल
अभी तो मेरे इन पैरों ने छाले नहीं देखे