मेरे होते हुए जब गैर से वो बात करती हैं।

#काव्योदय
गज़ल
1222……1222…….1222……1222
मेरे होते हुए जब गैर से वो बात करती हैं।
नज़र अंदाज़ कर नज़रें तेरी आघात करती हैं।
तुम्हारी इक नजर मुझको तबस्सुम से नहीं है कम,
जो नज़रें देखती मुझको बड़ी सौगात करती हैं।
कहां अब चैन आता है तुझे देखे बिना मुझको,
न देखें गर मेरी आंखें बहुत बरसात करती हैं।
किसी की इक नज़र से जिंदगी बनती बिगड़ जाती,
तुम्हारी नज़रें तो खुशियों की बस बारात करती हैं।
मैं प्रेमी हूं तुम्हें पाने की रहती लालशा हरदम,
तमन्नाएं मेरे दिल की दुआ दिन रात करती हैं।
……….✍️ सत्य कुमार प्रेमी