Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jan 2023 · 1 min read

मेरे मन का सीजन थोड़े बदला है

बदल गया है साल, ठीक है! क्या करना!
मेरे मन का सीजन थोड़े बदला है ।

वृक्षों के पत्ते बदले हैं, तने नहीं।
शाखों के तेवर बदले हैं, जड़े नहीं।
सूरज पथ से भटक गया है। मालूम है!
समय सांझ में अटक गया है। मालूम है!

बदल चुकी ग्रह चाल ठीक है! क्या करना!
मेरे मन का मौसम थोड़े बदला है।

दीवारों पर नया रंग तो, खिला नहीं।
नया कलेवर अभी छतों को, मिला नहीं।
खिड़की ने घूंघट बदला है, मालूम है।
दरवाजों ने पट बदला है, मालूम है।

बदला घर का हाल, ठीक है! क्या करना !
मेरे मन का आंगन थोड़े बदला है।

पांव स्वप्न की चौखट तक भी, गया नहीं।
किसी नींव ने अभी, कंगूरा छुआ नहीं।
छोर समय का छूट रहा है। मालूम है!
जुड़ने से, कुछ टूट रहा है। मालूम है!

श्वेत पड़े कुछ बाल, ठीक है! क्या करना!
मेरे मन का रोगन थोड़े बदला है।
© शिवा अवस्थी

3 Likes · 56 Views
Join our official announcements group on Whatsapp & get all the major updates from Sahityapedia directly on Whatsapp.
You may also like:
आज की तारीख हमें सिखा कर जा रही है कि आने वाली भविष्य की तार
आज की तारीख हमें सिखा कर जा रही है कि आने वाली भविष्य की तार
Seema Verma
मां जब मैं तेरे गर्भ में था, तू मुझसे कितनी बातें करती थी...
मां जब मैं तेरे गर्भ में था, तू मुझसे कितनी बातें करती थी...
Anand Kumar
कठपुतली का खेल
कठपुतली का खेल
Satish Srijan
#बोध_काव्य-
#बोध_काव्य-
*Author प्रणय प्रभात*
चंदा तुम मेरे घर आना
चंदा तुम मेरे घर आना
नन्दलाल सिंह 'कांतिपति'
दिनकर की दीप्ति
दिनकर की दीप्ति
AJAY AMITABH SUMAN
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
वो मुझ को
वो मुझ को "दिल" " ज़िगर" "जान" सब बोलती है मुर्शद
Vishal babu (vishu)
घंटा हिलाने वाली कौमें
घंटा हिलाने वाली कौमें
Shekhar Chandra Mitra
"चरित्र-दर्शन"
Dr. Kishan tandon kranti
हिन्दुत्व_एक सिंहावलोकन
हिन्दुत्व_एक सिंहावलोकन
मनोज कर्ण
जो गए छोड़कर तुमको गोया
जो गए छोड़कर तुमको गोया
Ranjana Verma
कितने कोमे जिंदगी ! ले अब पूर्ण विराम।
कितने कोमे जिंदगी ! ले अब पूर्ण विराम।
डॉ.सीमा अग्रवाल
फल आयुष्य
फल आयुष्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"औरत”
Dr Meenu Poonia
👸कोई हंस रहा, तो कोई रो रहा है💏
👸कोई हंस रहा, तो कोई रो रहा है💏
Arise DGRJ (Khaimsingh Saini)
बूढ़ा बरगद का पेड़ बोला (मार्मिक कविता)
बूढ़ा बरगद का पेड़ बोला (मार्मिक कविता)
Dr. Kishan Karigar
तुम से सुबह, तुम से शाम,
तुम से सुबह, तुम से शाम,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
माँ वाणी की वन्दना
माँ वाणी की वन्दना
Prakash Chandra
💐अज्ञात के प्रति-41💐
💐अज्ञात के प्रति-41💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मुक्तक
मुक्तक
Rajkumar Bhatt
अन्न देवता
अन्न देवता
Dr. Girish Chandra Agarwal
शब्द वाणी
शब्द वाणी
Vijay kannauje
शिव अविनाशी, शिव संयासी , शिव ही हैं शमशान निवासी।
शिव अविनाशी, शिव संयासी , शिव ही हैं शमशान निवासी।
Gouri tiwari
Gazal
Gazal
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
माँ नहीं मेरी
माँ नहीं मेरी
Dr fauzia Naseem shad
रंग भी रंगीन होते है तुम्हे छूकर
रंग भी रंगीन होते है तुम्हे छूकर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
बेटियाँ
बेटियाँ
लक्ष्मी सिंह
आम आदमी
आम आदमी
रोहताश वर्मा मुसाफिर
हाँ बहुत प्रेम करती हूँ तुम्हें
हाँ बहुत प्रेम करती हूँ तुम्हें
Saraswati Bajpai
Loading...