मेरी हर आरजू में,तेरी ही ज़ुस्तज़ु है
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मेरी हर आरजू में,तेरी ही ज़ुस्तज़ु है
ख्वाबों में भी घुली,तेरी ही खुशबू है।
पास है हर पल मेरी आंखों के
पर महसूस होता तू क्यूं दूर है।
कुछ मुझमें अब भी बचा है मेरा
जो अकेला रहने पर मजबूर है
मेरी हर आरजू में,तेरी ही ज़ुस्तज़ु है
ख्वाबों में भी घुली,तेरी ही खुशबू है।
पास है हर पल मेरी आंखों के
पर महसूस होता तू क्यूं दूर है।
कुछ मुझमें अब भी बचा है मेरा
जो अकेला रहने पर मजबूर है