मेरी सोच मेरे तू l
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कभी सोचा है?
कभी सोचों तो ज़रा।
कभी सोचें तू मुझे,,
कभी सोचु मैं तुझे-
यूहीं ज़रा -ज़रा।।
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सुन! इश्क़ की ख़ामोश ज़ुबा,
सुकून इसमें कितना है।
बिन बोले सुन लेना सब,
देख! इश्क़ पे गेहरा; पेहरा है।
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कभी सोचा है?
सोच पे पेहरे नहीं।
पेटी मे कैद होके भी,
सोच घूमें जगह- जगह।
काश ये! काश वो!
काश- काश है; सोच मे।
सोच मे; मैं पड़ गई।
जब भी सोचु मैं तुझे।।
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कभी सोचा है?
कभी सोचों तो ज़रा।
कितना चाहूं मैं तुझे,
काश तू भी सोचें मुझे!
यूहीं ज़रा -ज़रा।।
बेवजह!