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4 Feb 2017 · 1 min read

मेरी बेटी–प्रेरणा

आज नारी की दुश्मन ही नारी है…
तभी तो लगता है जैसे कन्या पैदा होना उन पर भारी है..

लाज अगर अपने हाथ में है..
तो क्यों नहीं करती कन्या के भ्रूण की रखवारी हैं…

अबला रोने को खुद मजबूर है…
इसी लिए उसे करते सब चकनाचूर है…

अगर बुलंद करे वो कन्या के लिए आवाज,
देखते हैं कौन सी ममता के दिल पर वो भारी है….

आज तक यही देखा है…
वो शायद समझती अपनी लाचारी है….

बाप का दिल मेरा भी है…
और बेटी का बाप भी हूँ,
तभी तो मेरी बेटी जग में सब से ज्यादा
प्यारी और राज दुलारी है……….

कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
Tag: कविता
229 Views

Books from गायक और लेखक अजीत कुमार तलवार

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