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1 Sep 2021 · 1 min read

नफ़रत की गोली

मैं गोली तमंचे से नही मुँह से मारता हूँ,
तेरे शरीर में नही गोली दिमाग में मारता हूँ ।।

ये नफरत की आंधी नही, शुरुआत की ब्यार है,
इसे ऊपर वाला नही मैं अपनी फूंक से चलाता हूँ ।।

तू मरता नही मारता है मेरी गोली से मासूमियत को,
क्योकि इसमें मैं बारूद नही में शब्दो का जहर डालता हूँ।।

तू रहता वहीं का वहीं पर, और मेरा काम होता रहता है,
जरूरत पर तुझे भी उसी के साथ जैल में डाल देता हूँ ।।

मेरा नाम बदनाम होता है तो भी मेरा नाम होता है,
मेरी गोली का निशाना केवल दिमाग होता है।।

छीनकर तेरा तुझसे, तू जय जयकार मेरी करता है,
तू मारता, तू मरता है और मुझे महान करता है ।।

तेरा काम,तेरा नाम,तेरा भाई, तेरा पड़ोस,तेरा प्यार
सब कुछ मैंने छीना है ,
तू मदहोश है मेरी अदाओं पर, मैं दीमक तुझे लकड़ी बन के जीना है।।

कशूर मेरा नही सब कुछ तेरा ही है प्यारे,
शैतान वहीं बसता है जहां उसे स्थान मिलता है।।

Language: Hindi
1 Like · 328 Views
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