Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Feb 2024 · 1 min read

मुराद

मेरा भी मन करता है
कि मैं ऑफिस जाऊं ,
कोई मेरे लिए टिफिन बनाए
और मैं स्वाद लेकर खाऊं ,

मेरे पीछे भी कोई
दरवाज़े तक दौड़ा आए ,
कुछ सेकेंड की देरी के लिए
लगातार साॅरी की रट लगवाऊं ,

मैं भी ऑंखें तरेरकर
हाथ से पानी की बोतल छिनती
मुंह पर दरवाज़ा बंद करके
धड़धड़ाती सीढियां उतरती जाऊं ,

शाम को वापस घर लौटने पर
अपनी थकान का ठीकरा उसके सर फोड़ूं
टीवी के सामने पसर कर
मज़े से चाय-नाश्ता खाऊं ,

अपनी पसंद का डिनर बनवाकर
जानबूझकर कमी निकालूं
उसको ग्लानि से भरवाकर
फिर खाना खाने आऊं ,

घर में मेहमानों के आने पर
ख़ुद को इतना व्यस्त बताऊं
इसको और काम ही क्या है
हर बात में ये जताऊं ,

इस जनम में ना सही
अगले जनम में ये मुराद पाऊं
ऐसे नामुरादों को ना बख़्शू
वो स्त्री और मैं पुरुष बन पाऊं ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा )

231 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Singh Devaa
View all

You may also like these posts

"तेरी यादों के छापे पड रहे हैं ll
पूर्वार्थ
दोहा छंद
दोहा छंद
Seema Garg
सारे रिश्तों से
सारे रिश्तों से
Dr fauzia Naseem shad
हमारे साथ खेलेंगे नहीं हारे वो गर हम से
हमारे साथ खेलेंगे नहीं हारे वो गर हम से
Meenakshi Masoom
एक-दूसरे के लिए
एक-दूसरे के लिए
Abhishek Rajhans
तगाफुल 2025
तगाफुल 2025
AJAY PRASAD
😘मानस-मंथन😘
😘मानस-मंथन😘
*प्रणय प्रभात*
###अंगुलिमाल की पुनर्जन्म !
###अंगुलिमाल की पुनर्जन्म !
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
अब कहां लौटते हैं नादान परिंदे अपने घर को,
अब कहां लौटते हैं नादान परिंदे अपने घर को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जहर    ना   इतना  घोलिए
जहर ना इतना घोलिए
Paras Nath Jha
गृहस्थ आश्रम
गृहस्थ आश्रम
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
बेशक उस शहर में हम अनजान बन के आए थे ।
बेशक उस शहर में हम अनजान बन के आए थे ।
Karuna Goswami
समय की बहती धारा में
समय की बहती धारा में
Chitra Bisht
कपट नहीं कर सकता सच्चा मित्र
कपट नहीं कर सकता सच्चा मित्र
Acharya Shilak Ram
फलक के सितारे
फलक के सितारे
शशि कांत श्रीवास्तव
जीवन ये हर रंग दिखलाता
जीवन ये हर रंग दिखलाता
Kavita Chouhan
स्वप्न
स्वप्न
NAVNEET SINGH
अतीत का अफसोस क्या करना।
अतीत का अफसोस क्या करना।
P S Dhami
गम तो सबकी जिन्दगी में है,
गम तो सबकी जिन्दगी में है,
Dr .Shweta sood 'Madhu'
सोच
सोच
Dinesh Kumar Gangwar
सुरभित - मुखरित पर्यावरण
सुरभित - मुखरित पर्यावरण
संजय कुमार संजू
तुम्हें जब सोचते हमदम ज़माना भूल जाते हैं ।
तुम्हें जब सोचते हमदम ज़माना भूल जाते हैं ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
NEW88bet
NEW88bet
new88betus1
*ए.पी. जे. अब्दुल कलाम (हिंदी गजल)*
*ए.पी. जे. अब्दुल कलाम (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
गॉड पार्टिकल
गॉड पार्टिकल
Girija Arora
"अपनापन"
Dr. Kishan tandon kranti
कॉफ़ी हो या शाम.......
कॉफ़ी हो या शाम.......
shabina. Naaz
सात जन्मों की शपथ
सात जन्मों की शपथ
Bodhisatva kastooriya
जो कभी थी नहीं वो शान लिए बैठे हैं।
जो कभी थी नहीं वो शान लिए बैठे हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
भोर का सूरज
भोर का सूरज
Vivek Pandey
Loading...