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24 Feb 2023 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक
‘कृति’ में भाव पिरोने हैं तो ,चिंतन का विस्तार करो।
कवि वैशिष्ट्य लेखनी शुचिता,मत इसका व्यापार करो।
अर्थ गहन शब्दों के होते,भाव – प्रवाह बदल जाता,
सोच-समझकर ही जीवन में,सब इनका व्यवहार करो।।
डाॅ.बिपिन पाण्डेय

1 Like · 2 Comments · 55 Views
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