*मुक्तक*
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मुक्तक
तुम्हारे प्यार में सारा ज़माना छोड़कर आये
सभी रिश्ते सभी नातों से मुखड़ा मोड़कर आये
हमें आदत बहुत है दर्द में भी मुस्कुराने की
तभी तो हम सुखों के सब के सब घट तोड़कर आये
लव कुमार ‘प्रणय’
मुक्तक
तुम्हारे प्यार में सारा ज़माना छोड़कर आये
सभी रिश्ते सभी नातों से मुखड़ा मोड़कर आये
हमें आदत बहुत है दर्द में भी मुस्कुराने की
तभी तो हम सुखों के सब के सब घट तोड़कर आये
लव कुमार ‘प्रणय’