मिलो ना तुम अगर तो अश्रुधारा छूट जाती है ।
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मिलो ना तुम अगर तो अश्रुधारा छूट जाती है ।
हृदय में नेह से परिपूर्ण सरिता सूख जाती है ।
दरस की आस ले गुजरी गली में सांझ नित लेकिन –
जरा सी बात पर “अरविन्द” नलिनी रूठ जाती है ।।
✍️अरविन्द त्रिवेदी
उन्नाव उ० प्र०