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15 Feb 2017 · 1 min read

मातृभाषा

     अपने ओफिस के पास चाय की दुकान पर हिन्दी दैनिक अकबार की जगह गलती से अग्रेजी अखबार डाल गया है। चाय वाले ने सारा दिन फोटो देख-देख कर दिन गुजार दिया। शाम को मेरे पास आया कि यह अग्रेजी अखबार आप ले लो, हमारे को अग्रेजी आती नहीं है और ना ही हमारे किसी ग्राहक ने, अभी तक ये अग्रेजी अखबार पढा है। मैं चाय वाले का मुहँ देख कर सोच रहा  हूँ कि फिर अग्रेजी जानने वालों का इतना सम्मान क्यों होता है या फिर मातृभाषा कुछ नहीं है ?
– बीजेन्द्र जैमिनी

Language: Hindi
875 Views
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