Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Oct 2022 · 1 min read

माँ कात्यायनी

प्यारा षष्ठी रूप है, कात्यायनी सुनाम ।
श्रद्धा भाव उपासना, मिले मोक्ष सुखधाम।।
मिले मोक्ष सुखधाम, तारती माँ जगदम्बे।
महिमा अपरंपार, हरे विपदा सब अम्बे ।।
वरमुद्रा में हाथ, कृपामय जग यह सारा ।
चमकीला है वर्ण, रूप अतुलित है प्यारा ।।

वन्दना नामदेव

1 Like · 64 Views
You may also like:
शब्द यदि हर अर्थ का, पर्याय होता जायेगा
शब्द यदि हर अर्थ का, पर्याय होता जायेगा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
तटस्थता आत्मघाती है
तटस्थता आत्मघाती है
Shekhar Chandra Mitra
जनता के आगे बीन बजाना ठीक नहीं है
जनता के आगे बीन बजाना ठीक नहीं है
कवि दीपक बवेजा
Have faith in your doubt
Have faith in your doubt
AJAY AMITABH SUMAN
चाहत
चाहत
Dr Archana Gupta
बेटी की बिदाई
बेटी की बिदाई
Naresh Sagar
मम्मी थी इसलिए मैं हूँ...!! मम्मी I Miss U😔
मम्मी थी इसलिए मैं हूँ...!! मम्मी I Miss U😔
Ravi Malviya
इंतजार है नया कैलेंडर (हास्य गीत)
इंतजार है नया कैलेंडर (हास्य गीत)
Ravi Prakash
बाल कहानी - सुन्दर संदेश
बाल कहानी - सुन्दर संदेश
SHAMA PARVEEN
नींद पर लिखे अशआर
नींद पर लिखे अशआर
Dr fauzia Naseem shad
धुँधली तस्वीर
धुँधली तस्वीर
DrLakshman Jha Parimal
जीवन एक गुलदस्ता ..... (मुक्तक)
जीवन एक गुलदस्ता ..... (मुक्तक)
Kavita Chouhan
मैथिली भाषाक मुक्तक / शायरी
मैथिली भाषाक मुक्तक / शायरी
Binit Thakur (विनीत ठाकुर)
दानवीर सुर्यपुत्र कर्ण
दानवीर सुर्यपुत्र कर्ण
Ravi Yadav
ज़रूरी थोड़ी है
ज़रूरी थोड़ी है
A.R.Sahil
रस्म
रस्म
जय लगन कुमार हैप्पी
जोकर vs कठपुतली ~03
जोकर vs कठपुतली ~03
bhandari lokesh
वर्तमान भी छूट रहा
वर्तमान भी छूट रहा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अमृता
अमृता
Surinder blackpen
लांघो रे मन….
लांघो रे मन….
Rekha Drolia
हम पत्थर है
हम पत्थर है
Umender kumar
" कुरीतियों का दहन ही विजयादशमी की सार्थकता "
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
✍️माँ ✍️
✍️माँ ✍️
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
ये मेरे घर की चारदीवारी भी अब मुझसे पूछती है
ये मेरे घर की चारदीवारी भी अब मुझसे पूछती है
श्याम सिंह बिष्ट
"क्रियात्मकता के लिए"
Dr. Kishan tandon kranti
नजरअंदाज करना तो उनकी फितरत थी----
नजरअंदाज करना तो उनकी फितरत थी----
सुनील कुमार
■ मुक्तक / पुरुषार्थ ही जीवंतता
■ मुक्तक / पुरुषार्थ ही जीवंतता
*Author प्रणय प्रभात*
झुकी नज़रों से महफिल में सदा दीदार करता है।
झुकी नज़रों से महफिल में सदा दीदार करता है।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
💐प्रेम कौतुक-166💐
💐प्रेम कौतुक-166💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कामयाब
कामयाब
Sushil chauhan
Loading...