महबूब से कहीं ज़्यादा शराब ने साथ दिया,
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महबूब से कहीं ज़्यादा, शराब ने साथ दिया,
दिलवर रंग बदलता रहा, ज़ाम कभी नहीं।
*****
जब भी तलाशने लगता हूँ, हसीं पन्ने डायरी के,
जाने क्यों बारहा तुम्हारी तस्वीर सामने आती है।
महबूब से कहीं ज़्यादा, शराब ने साथ दिया,
दिलवर रंग बदलता रहा, ज़ाम कभी नहीं।
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जब भी तलाशने लगता हूँ, हसीं पन्ने डायरी के,
जाने क्यों बारहा तुम्हारी तस्वीर सामने आती है।