Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 May 2023 · 1 min read

मतलबी किरदार

एक प्यारा सा रिश्ता,
चाहता था,
तुमने बिगाड़ दी।
लगी थी जो विश्वास की फसल,
उसे उजाड़ दी।

क्यों ! समझती हो खुद को,
तुम रिश्तों के ठेकेदार हो।
सच बोल रहा हूं मैं,
तुम केवल मतलबी किरदार हो।

हां! ज़रूर मैंने , तुम्हारे साथ,
कुछ लम्हें जरूर गुज़ार दी,
मगर तुमने भी कोसा नसीब को,
और गालियां हज़ार दी।

अब जो गुज़ार दी, सो गुज़ार दी,
मगर तुमने भी तब तक हीं बेशुमार प्यार दी,
जबतलक मेरे से रहा काम ,
उसके बाद पूराने कपड़े के तरह उतार दी।

मैं लोगों को पहचानना,
शायद ही जानता था।
जो जो गले लगते थे हमारे,
उनको भी अपना हीं मानता था।

खैर छोड़ो! अब मैंने सीख लिया,
लोगों को कैसे पहचानना है?
तुम्हारे साथ हुई अनुभवों से ही पता चला,
किसे गले लगाना है और किसे उतारना है।

और हां मुझे करना है तय अभी
फासला दूर का,पकड़ लेना साथ ,
मुझसे ज्यादा परवाह करने वाला
किसी हुजूर का।

क्योंकि जमाने में खबर फैल गई है
कि अभी तुम तक बच्ची हो,
वह मैं ही जानता हूं
तुम कितनी सच्ची और अच्छी हो।

Tag: Poem
322 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सनातन की रक्षा
सनातन की रक्षा
Mahesh Ojha
■ शुभ धन-तेरस।।
■ शुभ धन-तेरस।।
*प्रणय प्रभात*
इतना क्यों व्यस्त हो तुम
इतना क्यों व्यस्त हो तुम
Shiv kumar Barman
सोना बोलो है कहाँ, बोला मुझसे चोर।
सोना बोलो है कहाँ, बोला मुझसे चोर।
आर.एस. 'प्रीतम'
शिव सबके आराध्य हैं, रावण हो या राम।
शिव सबके आराध्य हैं, रावण हो या राम।
Sanjay ' शून्य'
विश्राम   ...
विश्राम ...
sushil sarna
जिंदगी मुस्कुराती थी कभी, दरख़्तों की निगेहबानी में, और थाम लेता था वो हाथ मेरा, हर एक परेशानी में।
जिंदगी मुस्कुराती थी कभी, दरख़्तों की निगेहबानी में, और थाम लेता था वो हाथ मेरा, हर एक परेशानी में।
Manisha Manjari
I love you
I love you
Otteri Selvakumar
माॅं लाख मनाए खैर मगर, बकरे को बचा न पाती है।
माॅं लाख मनाए खैर मगर, बकरे को बचा न पाती है।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
*आया भैया दूज का, पावन यह त्यौहार (कुंडलिया)*
*आया भैया दूज का, पावन यह त्यौहार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
पिता
पिता
Manu Vashistha
-शेखर सिंह
-शेखर सिंह
शेखर सिंह
प्रकृति के स्वरूप
प्रकृति के स्वरूप
डॉ० रोहित कौशिक
2479.पूर्णिका
2479.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
चंद्रयान-3
चंद्रयान-3
Mukesh Kumar Sonkar
सत्य से सबका परिचय कराएं आओ कुछ ऐसा करें
सत्य से सबका परिचय कराएं आओ कुछ ऐसा करें
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सिंह सा दहाड़ कर
सिंह सा दहाड़ कर
Gouri tiwari
सावन
सावन
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
"हम किसी से कम नहीं"
Dr. Kishan tandon kranti
ऐसे हंसते रहो(बाल दिवस पर)
ऐसे हंसते रहो(बाल दिवस पर)
gurudeenverma198
गुमशुदा लोग
गुमशुदा लोग
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
-- आधे की हकदार पत्नी --
-- आधे की हकदार पत्नी --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
ख़त्म हुआ जो
ख़त्म हुआ जो
Dr fauzia Naseem shad
*युद्ध*
*युद्ध*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हिंसा
हिंसा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
उड़ कर बहुत उड़े
उड़ कर बहुत उड़े
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
* सखी  जरा बात  सुन  लो *
* सखी जरा बात सुन लो *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अगर आप सफल
अगर आप सफल
पूर्वार्थ
सबला नारी
सबला नारी
आनन्द मिश्र
आत्मीयकरण-2 +रमेशराज
आत्मीयकरण-2 +रमेशराज
कवि रमेशराज
Loading...