Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 May 2024 · 2 min read

मज़दूर दिवस विशेष

शमशान के पीछे की भूमि सूनी पड़ी थी
लेकिन अब वहां चहल पहल हो रही थी

शायद एक नया निर्माण होनें को था इसीलिए
मजदूरों की झोपड़ियां किनारे पर बनने लगीं थी

पानी के टैंकर और टीन वाले छत
ऐसी ढ़ेरों झोपड़ियां तैयार हुईं तुरंत फुरंत

खाली पड़ी विशाल बंजर जमीन से
पेड़ों और मलबों को साफ़ किया गया

मजदूरों की यही कहानी होती है
एक नया शहर एक नया विकास

इनका विकास हो या न हो दाल रोटी के लिए
बीबी बच्चों सहित शहर दर शहर भटकते हैं

तब कहीं जाके ए लोग दो जून का भोजन करते हैं
छोटे छोटे से मासूम बच्चे भी इनके साथ होते हैं

माता भी मजदूरी करती हैं,
बचा हुआ समय बच्चों को भोजन भी देती हैं

आज़ इस ज़मीन पर नया निर्माण हो रहा है
कल मॉल बनेगा या अस्पताल का निर्माण होगा

क्या पता क्या होगा लेकिन हो तो रहा है
एक नए विकास की नींव है यहां जो धीरे धीरे पड़ रही है

कल जब मॉल बनेगा तो नौकरियां भी पैदा होंगी
तब सात से आठ हज़ार वेतन पर बीए, बीकॉम ,एम ए वालों को रक्खा जाएगा

काम का समय निश्चित नहीं किया जाएगा
बारह से पंद्रह पन्द्रह घंटे खुला मजदूरी कराया जाएगा

यहां होते शोषण को देख कोई रोकने नहीं आएगा
जितना चाहे ख़ून पिए इन जैसे मजदूरों के

हर कोई व्यापार नहीं कर सकता है
हर कोई नौकरशाह नहीं बन सकता है

लेकिन मेहनत मजदूरी से मॉल्स और होटलों का
मजदूर ज़रूर बन सकता है

आज़ यहां जो भी निर्माण हो रहा है
कल की आधारशिला है

आज़ जो निर्माण हो रहा है
कल के भविष्य को एक रोज़गार मिलेगा

लेकिन क्या केवल यही वो मज़दूर हैं
आज़ तो हर कोई मजबूर हैं मज़दूर बनने को विवश हैं

नौकरी है लेकिन वेतन कम है महंगाई अधिक है,
पैसा बचता ही नहीं है, लोन का बोझ भी अधिक है

सैलरी का इंतज़ार करते हैं महीने में
एक दिन सैलरी मिलती है वो भी एक दिन में गायब हो जाती है

मज़दूर भले ही कम नहीं हो सकते हैं लेकिन
उनका जीवन बेहतर हो सके इतना प्रयत्न कर सकते हैं

इसीलिए मजदूर दिवस एक मई को मनाते हैं
मजदूरों की याद में, क्योंकि मज़दूर भी इन्सान होते हैं

_ सोनम पुनीत दुबे

1 Like · 47 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Sonam Puneet Dubey
View all
You may also like:
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
याद रक्खा नहीं भुलाया है
याद रक्खा नहीं भुलाया है
Dr fauzia Naseem shad
मौन सभी
मौन सभी
sushil sarna
मोहब्बत तो अब भी
मोहब्बत तो अब भी
Surinder blackpen
Khata kar tu laakh magar.......
Khata kar tu laakh magar.......
HEBA
बहुत याद आता है
बहुत याद आता है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह
*फितरत*
*फितरत*
Dushyant Kumar
ख़ुद की हस्ती मिटा कर ,
ख़ुद की हस्ती मिटा कर ,
ओसमणी साहू 'ओश'
मेरी रातों की नींद क्यों चुराते हो
मेरी रातों की नींद क्यों चुराते हो
Ram Krishan Rastogi
माँ दुर्गा की नारी शक्ति
माँ दुर्गा की नारी शक्ति
कवि रमेशराज
*रात से दोस्ती* ( 9 of 25)
*रात से दोस्ती* ( 9 of 25)
Kshma Urmila
मूर्ती माँ तू ममता की
मूर्ती माँ तू ममता की
Basant Bhagawan Roy
"मित्रों से जुड़ना "
DrLakshman Jha Parimal
"रिश्ते की बुनियाद"
Dr. Kishan tandon kranti
तेरी कमी......
तेरी कमी......
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
मुद्दतों से तेरी आदत नहीं रही मुझको
मुद्दतों से तेरी आदत नहीं रही मुझको
Shweta Soni
सुबह की चाय मिलाती हैं
सुबह की चाय मिलाती हैं
Neeraj Agarwal
दिल खोल कर रखो
दिल खोल कर रखो
Dr. Rajeev Jain
मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं।
मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
हम सा भी कोई मिल जाए सरेराह चलते,
हम सा भी कोई मिल जाए सरेराह चलते,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मैं गुजर जाऊँगा हवा के झोंके की तरह
मैं गुजर जाऊँगा हवा के झोंके की तरह
VINOD CHAUHAN
*परिस्थिति चाहे जैसी हो, उन्हें स्वीकार होती है (मुक्तक)*
*परिस्थिति चाहे जैसी हो, उन्हें स्वीकार होती है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
*समझौता*
*समझौता*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Bad in good
Bad in good
Bidyadhar Mantry
सब चाहतें हैं तुम्हे...
सब चाहतें हैं तुम्हे...
सिद्धार्थ गोरखपुरी
किसान और जवान
किसान और जवान
Sandeep Kumar
.
.
*प्रणय प्रभात*
कौआ और बन्दर
कौआ और बन्दर
SHAMA PARVEEN
*याद  तेरी  यार  आती है*
*याद तेरी यार आती है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...