*भाता है सब को सदा ,पर्वत का हिमपात (कुंडलिया)*
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भाता है सब को सदा ,पर्वत का हिमपात (कुंडलिया)
भाता है सब को सदा ,पर्वत का हिमपात
नभ से गिरता हिम लगे ,जैसे हो बरसात
जैसे हो बरसात , अजूबा जादू लगता
देखा पहली बार ,दृश्य हो जैसे ठगता
कहते रवि कविराय ,भाग्य से ही दिख पाता
जब होता हिमपात ,हृदय को सबके भाता
हिम= बर्फ
हिमपात = पहाड़ों पर आसमान से बर्फ का
गिरना
रचयिता= रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451