*भर ले खुद में ज्योति तू ,बन जा आत्म-प्रकाश (कुंडलिया)*
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भर ले खुद में ज्योति तू ,बन जा आत्म-प्रकाश (कुंडलिया)
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भर ले खुद में ज्योति तू ,बन जा आत्म-प्रकाश
सच की अंतिम खोज तक ,लेना मत अवकाश
लेना मत अवकाश , ज्ञान की रहे पिपासा
सच्चे गुरु की खोज ,एक श्रम अच्छा-खासा
कहते रवि कविराय ,तर्क मस्तक पर धर ले
गुरु से कर के प्रश्न ,उजाला मन में भर ले
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451