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18 Apr 2017 · 2 min read

भगवान ने कहा-“हम नहीं मनुष्य के कर्म बोलेंगे“

नारदजी ने भगवान विष्णु से कहा कि, ‘‘प्रभु आज कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी है। आज के दिन पृथ्वी लोकवासी साक्षात स्वर्ग प्राप्ति के लिये क्या-क्या उपाय कर रहे हैं, उन्हें देखना चाहता हूँ।’’
भगवान विष्णु से आज्ञा पाकर नारदजी पृथ्वीलोक पहुँचे तो देखते हैं कि एक हलवाई सिथेंटिक दूध और नकली खोवा बना रहा है। एक व्यापारी टायरों की प्लास्टिक को पीसकर उससे धूप-बाती बनवा रहा है। एक तस्कर नकली नोटों को बाजार में खपा रहा है। एक नेता नकली दारू खिंचवा रहा है। एक चरमपंथी मानव-बम बनाने के तरीके और धर्म की महत्ता समझा रहा है।
नारदजी पृथ्वीलोक पर जहाँ-जहाँ पहुँचे, वहाँ-वहाँ मानव नामक जन्तु को उन्होंने केवल काली करतूतों में ही लिप्त पाया तो ऋषि का मन भारी दुःख और विषाद से भर गया। वे पुनः बैकुण्ठ धाम पहुंचे और भगवान विष्णु को पृथ्वी लोक का हाल बताया।
भगवान विष्णु ने नारद को समझाया-‘‘ ऋषिवर, यह कलियुग है, कलि अर्थात् पाप का युग। तुमने जिस हलवाई को सिथेंटिक दूध और नकली खोवा बनाते देखा है, उसने मुझे प्रसन्न रखने के लिए एक दर्जन मंदिरों का निर्माण कराया है। जो व्यापारी टायरों की प्लास्टिक पीसकर धूपबत्ती बनवा रहा था, वह अनेक धार्मिक संस्थाओं के अध्यक्ष पद पर विराजमान है। जो तस्कर नकली नोटों को बाजार में खफा रहा है, उसके चार अनाथ आश्रम हैं और आठ नारी-निकेतन बनवा रहा है। नकली दारू का कारोबार करने वाले नेता का भी अनेक मंदिरों में भारी चंदा पहुँचता है। चरमपंथी भी कई धार्मिक संस्थानों से जुड़ा है। आपने पृथ्वीलोक पर जिन-जिन मनुष्यों का सूक्ष्म अवलोकन किया है, वे सब सपरिवार साक्षात स्वर्ग को भोग रहे हैं। आलीशान कोठियाँ, वातानुकूलित कमरे, अनेक सुविधायुक्त वाहन, इनका मन हमेशा प्रसन्न रखते हैं।’’
भगवान विष्णु की बात सुनकर नारद ने सवाल किया-‘‘क्या प्रभु! इनके लिये स्वर्ग के द्वार खोलेंगे?’’
भगवान विष्णु बोले-‘‘हम नहीं, इनके कर्म बोलेंगे।’’
——————————————————————-
सम्पर्क- 15/109, ईसानगर, निकट थाना सासनीगेट अलीगढ़-202001

Language: Hindi
Tag: लेख
376 Views
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