बीती सदियाँ राम हैं , भारत के उपमान(कुंडलिया)
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बीती सदियाँ राम हैं , भारत के उपमान(कुंडलिया)
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बीती सदियाँ राम हैं , भारत के उपमान
मर्यादा के हैं शिखर ,उज्ज्वल खिले विहान
उज्ज्वल खिले विहान ,वीर नवयुग रच जाते
गाथा धरा – मनुष्य ,भक्ति से जिनकी गाते
कहते रवि कविराय , राम के बिन है रीती
भारत की हर शाम ,सदी हर अब तक बीती
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उपमान = जिसकी उपमा दी जाए
विहान = प्रातः काल, सुबह
रीती = सारहीन ,खाली खोखली
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451